RBI Cuts Repo Rate 6.5% To 6.25%: First Rate Cut In 5 Years – भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। यह फैसला आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिया गया। यह कटौती पिछले पांच वर्षों में पहली बार की गई है, जिससे बाजार में हलचल मची है और इसके दूरगामी प्रभाव की चर्चा शुरू हो गई है।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। यह बैंकों के लिए एक प्रमुख उधार लेने का स्रोत है, और रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर बैंकों की उधार दरों पर पड़ता है। जब आरबीआई रेपो रेट कम करता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे आगे चलकर अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर ऋण दे सकते हैं।
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रेपो रेट कटौती के कारण
आरबीआई ने यह कटौती कई कारणों से की है, जिनमें प्रमुख हैं:
- आर्थिक विकास को गति देना: पिछले कुछ समय से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखने को मिल रही है। रेपो रेट में कटौती से बैंकों को सस्ता ऋण मिलेगा, जिससे वे व्यवसायों और व्यक्तियों को अधिक ऋण दे पाएंगे। इससे निवेश और खर्च बढ़ेगा, और अंततः आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: हालांकि, आरबीआई का मुख्य लक्ष्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना भी है। अगर मुद्रास्फीति बहुत अधिक बढ़ती है, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है। रेपो रेट में कटौती से मांग में वृद्धि हो सकती है, जिससे कुछ हद तक मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि वे मुद्रास्फीति के लक्ष्य को लेकर सजग हैं और यदि आवश्यक हुआ तो आगे भी कदम उठा सकते हैं।
- वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां: वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है। कई देशों में मंदी की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में आरबीआई का यह कदम घरेलू अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में मददगार हो सकता है।
कटौती का प्रभाव:
रेपो रेट में कटौती के कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
- होम लोन पर असर: सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव यह होगा कि होम लोन, कार लोन और अन्य उपभोक्ता ऋणों पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं। इससे आम आदमी के लिए उधार लेना सस्ता हो जाएगा, जिससे खपत और मांग में वृद्धि हो सकती है।
- व्यवसायों को लाभ: व्यवसायों के लिए भी ऋण की लागत कम हो जाएगी, जिससे वे अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे नए रोजगार सृजित हो सकते हैं और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
- शेयर बाजार पर प्रभाव: रेपो रेट में कटौती का शेयर बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कम ब्याज दरों से कंपनियों की लाभप्रदता बढ़ सकती है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और शेयर बाजार में तेजी आ सकती है।
- जमा दरों पर असर: बैंक जमा दरों में भी कमी हो सकती है, जिससे बचतकर्ताओं को कम रिटर्न मिलेगा।
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किन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा?
- रियल एस्टेट – होम लोन सस्ता होने से घरों की बिक्री बढ़ सकती है।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर – कार और बाइक लोन सस्ता होने से वाहन बिक्री बढ़ सकती है।
- MSME सेक्टर – कम ब्याज दर पर लोन मिलने से छोटे और मध्यम उद्योगों को फायदा होगा।
- बैंकिंग सेक्टर – बैंकों की लोन देने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा।
निष्कर्ष:
RBI का यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। ब्याज दरों में कटौती से लोगों को सस्ते दरों पर लोन मिलेगा, EMI में राहत मिलेगी और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। हालांकि, इसका लाभ पूरी तरह से लोगों को तभी मिलेगा जब बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटाएंगे और इस कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएंगे।
कुल मिलाकर, रेपो रेट में कटौती एक सकारात्मक कदम है जो अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार हो सकता है। हालांकि, इसके प्रभावों का पूरी तरह से आकलन करने के लिए हमें कुछ समय इंतजार करना होगा।